Ortho raj ( Vathammrutha kshaya) : It is an ayurvedic formulation which helps to reduce pain.
Key Benefits:-
1.)Vata is one of the three doshas. Pain in vata disorders is often attributes to an imbalance in the vata dosha so Vathaammrutha balances the vata in body and relief the pain.
2.) When there's excess vata, it can lead symptoms such as pain, stiffness, and discomfort so patient can use this medicine to get relief from these symptoms.
3.) It also reduces inflammation, edema and good for stability and flexibility of joints.
4.) Indications:-Joints Pain, Neuritis, Neck pain, Back pain, Rheumatoid Arthritis, Spondylitis, Osteoarthritis, Vata disorders.
Key Ingredients:-
⏺Rasna(Pluchea lanceolata) -Agrya Dravya for Vatahara & Amapachana
⏺ Kokilaksha (Astercantha longifolia) -Amahara removes toxin from blood
⏺Vayu vidanga (Embelia ribes) and Manjastha (Rubia Cordifolia) -krimi and vishahara , which inturn helps in reducing ama.
⏺ Ativisa (Aconitum heterophyllum), Vacha (Acorus calamus) and Hingu (Ferula asafoetida) - Helps in quick action, pachana and vataanulomana.
⏺Guggul (Commiphora mukul) -Dashmoola shodita guggul :-Vishesha Vatahara
⏺Pushkaramulam (Inula racemosa), Daruharidra (Berberis aristata) and Karpooram (Cinnamomum Camphora) -Helps in deepana , pachana and kapha vatahara.
Dosage:-
10 to 15 ml with four times water before food or as directed by the physician.
Safety Information:-
Do not exceed the recommended dosage.
Read the label carefully before use.
Store in cool, dry place and away from direct sunlight.
keep out of reach of children.
Keep at least half an hour gap between food/drink/any other medicine / allpathic medicine
1. वात दोष को संतुलित करता है:
वात तीन दोषों में से एक है, और वात विकारों में दर्द वात दोष के असंतुलन के कारण होता है। वाथामृत शरीर में वात को संतुलित कर दर्द को कम करता है।
2. वात से जुड़े लक्षणों से राहत:
शरीर में अधिक वात होने पर दर्द, अकड़न और असुविधा जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह दवाई इन लक्षणों से राहत प्रदान करती है।
3. सूजन और एडेमा को कम करता है:
यह सूजन, सूजन (एडेमा) को कम करता है और जोड़ों की स्थिरता और लचीलेपन को बढ़ाता है।
उपयोग: जोड़ों का दर्द, न्यूराइटिस, गर्दन का दर्द, पीठ दर्द, रूमेटाइड आर्थराइटिस, स्पॉन्डिलाइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस और वात विकार।
- रासना (Pluchea lanceolata)- वातहर और आमपाचन के लिए प्रमुख औषधि।
- कोकिलाक्ष (Astercantha longifolia) - रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने वाला।
- वायु विदंगा (Embelia ribes) और मंजिष्ठा (Rubia Cordifolia) - कृमिनाशक और विषहर, जो आम को कम करने में मदद करते हैं।
- अतिविषा (Aconitum heterophyllum), वचा (Acorus calamus) और हींग (Ferula asafoetida) - जल्दी असर दिखाने, पाचन और वातानुलोमन में सहायक।
- गुग्गुल (Commiphora mukul) - दशमूल शोधित गुग्गुल, विशेष रूप से वातहर।
- पुष्करमूलम (Inula racemosa), दारुहरिद्रा (Berberis aristata) और कपूर (Cinnamomum camphora) - दीपन, पाचन और कफ-वातहर के लिए सहायक।
10 से 15 मि.ली. पानी के साथ भोजन से पहले लें या चिकित्सक के निर्देश अनुसार लें।
- अनुशंसित मात्रा से अधिक न लें।
- उपयोग से पहले लेबल ध्यान से पढ़ें।
- ठंडी और सूखी जगह पर रखें, सीधी धूप से बचाएं।
- बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
- भोजन, पेय, अन्य दवाओं या एलोपैथिक दवाओं से कम से कम आधे घंटे का अंतर रखें।
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